<span style="font-weight:bold; color:#024d99">लडभड़ोल : </span > अधिकांश युवाओं की यह इच्छा होती है कि वे सरकारी नौकरी पाएं। इसके लिए वे लगातार परिश्रम करते हैं और नौकरी मिलने के बाद वे उसी मुकाम पर ठहर जाते हैं। लेकिन यदि कोई कुछ बनने की मन में ठान ले तो फिर उसके लिए सफलता के रास्ते खुलते चले जाते हैं। हम आज आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएंगे जिनका सम्पूर्ण जीवन लडभड़ोल क्षेत्र सहित पुरे हिमाचल के युवाओं के लिए एक मिशाल है।
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<br /><span style="font-weight:bold; color:#E5002D">बतौर सिपाही भर्ती हुए थे कमांडेट ज्योति प्रकाश राणा</span >
<br />लडभड़ोल तहसील के ऊटपुर गांव निवासी कमांडेट ज्योति प्रकाश राणा के दिल में सेना में अफसर बनकर देश सेवा करने की उमंग थी। लेकिन नियति को शायद उस वक्त यह मंजूर नहीं था। इस वजह से अधिकारी तो नहीं, लेकिन वर्ष 1978 वह असम राइफल्स में बतौर सिपाही भर्ती हो गए। सैनिक तो बन गए थे लेकिन सपना नहीं छोड़ा और पढ़ाई जारी रखी। अपनी मेहनत के दम पर वह कई मुकाम हासिल कर हाल ही में 30 सितंबर को अपने 39 वर्षों के शानदार कार्यकाल के बाद कमांडेट पद से सेवानिवृत हुए है। बतौर सिपाही सबसे छोटे रैंक से अपना करियर शुरू करने वाले ज्योति प्रकाश राणा का एक बड़े अधिकारी के रूप में सेवानिवृत होना किसी प्रेरणा से कम नहीं है।
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<br /><span style="font-weight:bold; color:#E5002D"> ऊटपुर स्कूल से ही हुई थी शुरुआती पढ़ाई</span >
<br />तीन भाई व एक बहन में सबसे छोटे ज्योति प्रकाश राणा की स्कूली शिक्षा गांव के ऊटपुर स्कूल से ही हुई थी। असम राइफल्स में अपनी 31 वर्षों की सेवा के दौरान ज्योति प्रकाश राणा ने पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में उग्रवादियों के खिलाफ सफलतापूर्वक ओप्रशन चलाये। ओप्रशन के साथ साथ उन्होंने असम राइफल्स के अंदर महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया।
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<br /><span style="font-weight:bold; color:#E5002D"> कई बार हुए समान्नित </span >
<br />ज्योति प्रकाश राणा को प्रशाशनिक कार्यों में साहसिक योगदान के लिए वर्ष 2006 में उत्कृष्ट सेवा के लिए भारतीय पुलिस मैडल, मेघालय राज्यपाल से स्वर्ण पदक और महानिदेशक असम रायफल्स के प्रशासित पत्र तथा डिस्क नवाजा गया है। कमांडेट ज्योति प्रकाश राणा ने 1996-1997 दो वर्षों तक आंतकवाद का दंश झेल रहे जम्मू कश्मीर में भी सफलतापूर्वक योगदान दिया। वर्ष 2013 से 2017 तक भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पीलीभीत तथा नक्सल समस्याओं से जूझ रहे रांची में अपनी यूनिट को ओप्रशन मामलों में वह शिखर पर ले गए इसलिए उन्हें प्रशंशा पत्र से सम्मानित किया गया।
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<br /><span style="font-weight:bold; color:#E5002D"> हैती देश में मिली थी UN मिशन की कमांड </span >
<br />कमांडेट ज्योति प्रकाश राणा को 2010-2011 असम रायफल्स के पहली सैन्य टुकड़ी को हैती देश में UN मिशन में कमांड करने का गौरव हासिल हुआ जहां भीषण प्राकृतिक आपदा के चलते लगभग 3 लाख लोगों की मृत्यु हो गई थी और पूरा हैती देश अंधकार के कुएं में समा गया था। कमांडेट ज्योति प्रकाश राणा की की मेहनत, लग्न, व सफल कमांड की बदौलत और अशांत हैती के दुरस्त इलाकों में शांतिपूर्वक तरीकों से चुनाव करवाने की वजह से उन्हें "हैती एवं क्यूबा" के भारतीय राजपूत तथा सयुंक्त राष्ट्र पुलिस कमिश्नर और सयुंक्त राष्ट्र के महासचिव के प्रतिनिधि मंडल द्वारा प्रशासित पत्र प्रदान किया गया।
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<br /><span style="font-weight:bold; color:#E5002D"> एक साल में पकड़े 46 नक्सली </span >
<br />कमांडेट ज्योति प्रकाश राणा के सफल नेतृत्व में नक्सल प्रभावित क्षेत्र रांची व आसपास में एक साल में 46 नक्सलियों को पकड़ा व 32 हथियार तथा बहुत सी प्रतिबंधित सामग्री के साथ साथ लगभग 10 करोड़ रूपए अफीम की खेती को सफलतापूर्वक नष्ट करके एस.एस.बी में कीर्तिमान बनाया।
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<br /><span style="font-weight:bold; color:#E5002D"> स्पोर्ट्स में भाग लेने के लिए मिली एक्सीलेंटरी प्रमोशन </span >
<br />कमाडेंट ज्योति प्रकाश राणा बचपन से ही खेलकूद प्रतियोगिताएं में रूचि होने की वजह से स्कूली खेलकूद प्रतियोगिताएं में भाग लिया करते थे। 1982 से 1985 तक वह असम रायफल्स वॉलीबाल टीम के सदस्य रहे जिसके चलते कमांडेट ज्योति प्रकाश राणा को एक्सीलेंटरी प्रमोशन भी मिली थी।
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<br /><span style="font-weight:bold; color:#E5002D"> कठिन परिश्रम का नतीजा है इस स्तर पर पहुंचना </span >
<br />यह बातें कहने में जितनी सरल लग रही है उतनी आसान नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि ज्योति प्रकाश राणा को अफसर बनने की तैयारी के लिए कोई छूट मिली हो बल्कि उन्होंने सारी जिम्मेदारी निभाते हुए जो वक़्त मिला उस दौरान उसने मेहनत की और नतीजा सबके सामने है। कमांडेट ज्योति प्रकाश राणा की इस उपलब्धि पर परिजनों व समस्त ऊटपुर गांव तथा लडभड़ोल क्षेत्र में खुशी का माहौल है।
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<br />लडभड़ोल.कॉम से बात करते हुए कमांडेट ज्योति प्रकाश राणा ने कहा कि युवाओं को अपना लक्ष्य तय करने के साथ ही उसके लिए सतत प्रयास करते रहना चाहिए। क्योंकि ठहराव तभी हो, जब मुकाम हासिल हो। भविष्य में सक्रिय राजनीती में आकर वह समाजसेवा में अपना जीवन समर्पित करना चाहते है।
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